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15. मजदूर

अहमदाबाद के मजदूरगसंघ का नमूना समूचे हिन्दुस्तान के लिए अनुकरणीय है। वह शुद्ध अहिंसा की बुनियाद पर खड़ा किया गया है। अपने अब तक के कार्यकाल में उसे कभी पीछे हटने का मौका नहीं आया। बिना किसी तरह का शोरगुल, धांधली या दिखावा किये ही उसकी ताकत बराबर बढ़ती गई है। उसका अपना अस्पताल है, मिल-मजदूरों के बच्चों के लिए उसके अपने मदरसे हैं, बड़ी उमर के मजदूरों को पढ़ाने के क्लास हैं, उसका अपना छापखाना और खादी-भंडार है, और मजदूरों के रहने के लिए उसने घर भी बनवाये हैं। अहमदाबाद के करीब-करीब सभी मजदूरों के नाम मतदाताओं की सूची में दर्ज हैं और चुनावों में वे पुरअसर तरीके से हाथ बंटाते हैं। कांग्रेस की स्थानीय प्रदेश कमेटी के कहने से अहमदाबाद के मजदूरों ने मतदाता के नाते अपने नाम दर्ज करवाये थे। यह मजदूर-संघ कांग्रेस की दलबन्दीवाली राजनीति में कभी शरीक नहीं हुआ। शहर की म्युनिसिपैलिटी की नीति पर संघवालों का असर पड़ता है। संघ अब तक अनेक हड़तालों को अच्छी सफलता के साथ चला चुका है और ये सब हड़तालें पूरी तरह अहिंसक रही हैं। यहां के मजदूरों और मालिकों ने अपने आपसी झगड़े मिटाने के लिए ज्यादातर अपनी राजी-खुशी से पंच की नीति को स्वीकार किया है। मेरा बस चले तो मैं हिन्दुस्तान की तमाम मजदूर-संस्थाओं का संचालन अहमदाबाद के मजदूर-संघ की नीति पर करूं। अखिल भारत ट्रेड यूनियन कांग्रेस के काम में दखल देने की इस संघ ने कभी इच्छा नहीं की, और न उसका कोई असर अपने संगठन पर होने दिया। मैं उस दिन की आशा लगाये बैठा हूं, जब ट्रेड यूनियन कांग्रेस अहमदाबाद के मजदूर-संघ के तरीके को अपना लेगी और अखिल भारत मजदूर-संस्था के एक अंग की हैसियत से अहमदाबाद का मजदूर-संघ उसमें समा जायेगा। लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है। समय पाकर वह दिन अपने-आप आ जायेगा।

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