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7. नयी या बुनियादी तालीम

यह एक नया विषय है। लेकिन कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को इसमें इतनी ज्यादा दिलचस्पी हुई और उन्हें यह चीज इतने अधिक महत्व की मालूम हुई कि हरिपुरा कांग्रेस के अवसर पर उन्होंने हिन्दुस्तानी तालीमी संघ को कांग्रेस की स्वीकृति का अधिकार-पत्र दे दिया है, और तबसे वह अपना काम कर रहा है। इस काम का क्षेत्र इतना बड़ा है कि इसमें बहुत से कांग्रेसियों की शक्ति लग सकती है। इस तालीम की मंशा यह है कि गांव के बच्चों को सुधार-संवार कर उन्हें गांव का आदर्श बाशिन्दा बनाया जाय। इसकी योजना खासकर उन्हीं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इस योजना की असल प्रेरणा भी गांवों से ही मिली है। जो कांग्रेसजन स्वराज्य की इमारत को बिलकुल उसकी नपव या बुनियाद से चुनना चाहते हैं, वे देश के बच्चों की उपेक्षा कर ही नहीं सकते। परदेशी हुकूमत चलानेवालों ने, अनजाने ही क्यों न हो, शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम की शुरुआत बिना चूके बिलकुल छोटे बच्चों से की है। हमारे यहां जिसे प्राथमिक शिक्षा कहा जाता है वह तो एक मजाक है; उसमें गांवों में बसनेवाले हिन्दुस्तान की जरूरतों और मांगों का जरा भी विचार नहीं किया गया है; और वैसे देखा जाय तो उसमें शहरों का भी कोई विचार नहीं हुआ है। बुनियादी तालीम हिन्दुस्तान के तमाम बच्चों को, फिर वे गांवों के रहनेवाले हों या शहरों के, हिन्दुस्तान के सभी श्रेष्ठ और स्थायी तत्वों के साथ जोड़ देती है। यह तालीम बालक के मन और शरीर दोनों का विकास करती है; बालक को अपने वतन के साथ जोड़ रखती है; उसे अपने और देश के भविष्य का गौरवपूर्ण चित्र दिखाती है; और उस चित्र में देखे हुए भविष्य के हिन्दुस्तान का निर्माण करने में बालक या बालिका अपने स्कूल जाने के दिन से ही हाथ बंटाने लगे इसका इन्तजाम करती है। बुनियादी तालीम का काम कांग्रेसजनों के लिए अखूट रस से भरा काम है। इसे करते हुए वे जिन बालकों के संपर्क में आयेंगे, उन्हें जितना फायदा होगा उतना ही खुद कांग्रेसजनों को भी होगा। जो कांग्रेसी इसे शुरू करना चाहें, उन्हें चाहिये कि वे तालीमी संघ के मंत्री को सेवाग्राम के पते पर लिखकर उनसे जरूरी जानकारी हासिल कर लें।

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