दरिद्रनारायण के दर्शन |
हिन्दुस्तान दौरा करते करते एक बार गांधीजी उडी़सा पहुँचे । उडी़साकी गरीबी इस देशमें एक कहावत बन गई है । सारी दुनियामें सबसे गरीब देश हमारा हिन्दुस्तान है, और उडी़सा इसी हिन्दुस्तानका एक बहुत ही गरीब सूबा है । वहाँ आदमी नहीं रहते, जीवित नरकंकाल रहते हैं – हडि्योंके जिन्दा ढाँचे ! अकाल कभी उनका पीछा नहीं छोड़ता। लोगोंको शायद ही कभी दो जून भरपेट खानेको मिलता है । ऐसी हालतमें तन ढँकनेको कपडे़ कहाँसे मिलें?
उडी़साकी
गरीबीकी ये बातें गांधीजीने सुनी तो बहुत थीं, मगर उस गरीबीको अपनी आँखों
पहली बार इसी दौरेमें देखा । इस दृश्योंको देखकर गांधीजी बहुत ही दुःखी हुए । 'हे भगवन् ! मेरे देशकी ऐसी घोर गरीबी. क्या इस गरीबीको मिटानेके लिए मैं कुछ नहीं कर सकता? उस दिन मानो गांधीजीने दरिद्रनारायणके सच्चे दर्शन किये ! हिन्दुस्तानके दूसरे सब सूबोंके मुकाबले उडी़साके लिए गांधीजीके दिलमें बडा़ दर्द है । उनकी करूणा पर उडी़साका बहुत बडा़ अधिकार है । |