गांधी टोपी |
सेठ – मुनीमजी, अबसे आप गांधी टोपी पहनकर न आया करिये । मुनीम – सेठजी, आप तो ऐसी बात कह रहे हैं, जो मानी नहीं जा सकती । सेठ – सो आप जानिये। लेकिन हमारे यहाँ गांधी टोपी नहीं चलेगी । मुनीम – देखिये, मैं खादीके कपडे़ पहननेका व्रत ले चुका हूँ । क्या व्रत तोड़ दूँ? सेठ – आप खादी पहनिये । खादी पहननेसे कौन रोकता है? हम कहते यही हैं कि रंगाकर पहनिये, काली, नीली, जैसी आपको पसन्द हो । मुनीम – मुझे सफेद पसन्द है, और मैं सफेद ही पहनूँ तो आपको कोई एतराज क्यों होना चाहिये? सेठ – नौकरी करनी हो तो जैसा कहते हैं, कीजिये । सफेद टोपी पहननेसे आप स्वयंसेवक दिखाई पड़ते हैं । अगर किसीको मालूम हो जाय कि हमारे यहाँ स्वयंसेवक नौकर है, तो हमारा बडा़ नुकसान हो सकता है । मुनीम – साहब, यह सब मेरी समझमें नहीं आता । मैं आपकी नौकरी इमानदारीसे करता हूँ । आपको और चाहिये क्या? मैं टोपी सफेद पहनूँ या काली, इसमें आपका नुकसान कैसा? सेठ – देखिये मुनीमजी, नाहक मेरा दिमाग न चाटिये । यह गांधी टोपी है । अगर हमारे यहाँ कोई गांधी टोपीवाला रहा, तो बरबस लोगोंका शक हम पर रहेगा । मुनीम – अजी साहब, इनमें शककी क्या बात है? गांधीजी तो हमारे देशके सबसे पवित्र पुरूष हैं । उनके-जैसी पाक हस्ती और है किसकी? सेठ – सो हो सकती है, लेकिन आप तो कलसे गांधी टोपी छोड़कर ही काम पर आइये । मुनीम – टोपी तो मैं नहीं छोड़ सकूँगा । सेठ – तो फिर नौकरी छोड़नी होगी । मुनीम – जैसी आपकी मरजी । सेठ – देखिये, फिर पछताइयेगा ! इस मनहूस टोपीके पीछे नौकरी क्यों खाते हैं? मुनिम – आपकी इस नेक सलाहके लिए मैं आपका बहुत ही अहसानमन्द हूँ । लेकिन पेटके खातिर मैं अपने देशका और गांधीजीका अपमान सहना नहीं चाहता । नमस्कार ! ऊपरकी बातचीत वैसे तो मनगढ़न्त है, लेकिन सरकारी दफ्तरोंमें, परदेशी व्यापारियोंकी पेढियोंमें, और कुछ हिन्दुस्तानी व्यापारियोंकी पेढियोंमें भी ऐसी घटनायें सचमुच घट चुकी हैं । बहादुर नौकरोंने नौकरीको ठुकरा दिया, पर गांधी टोपीको न छोडा़ । वैसे देखा जाय, तो गांधी टोपीकी कीमत सिर्फ चार आने हैं । लेकिन अब तो उसकी कीमत इतनी बढ़ चुकी है कि वह बेशकीमती ही नहीं, बेमोल हो गई है । उसकी पहली खूबी यह है कि उसके चलानेवाले गांधीजी है । दूसरी खूबी यह है कि वह पवित्र खादीकी बनती है । तीसरी खूबी यह है कि वह हमेशा बगुलेके परकी तरह साफ रक्खी जा सकती है । चौथी खूबी यह है कि वह खूबसूरत है । पाँचवीं यह कि वह हल्की, सादी और सस्ती है । छठी यह कि वह हमारी राष्ट्रीय पोशाकका नमूना है । सातवीं यह कि वह उसका नाम गांधीजीके नामके साथ जुडा़ हुआ है । और बडी़से बडी़ खूबी यह है कि उसके लिए सैकडो़ देशभक्ततोनें तरह-तरहकी कुर्बानियाँ की हैं । भला, ऐसी अनमोल गांधी टोपीको पहनकर किसे अभिमान न होगा? |