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पोशाक का इतिहास

एक जमाना था, जब गांधीजी कोट, पतलून और टोप पहनते थे । फिर उन्होंने कुर्ता और लुंगी पहनना शुरू किया । इसके बाद वे धोती, अँगरखा और साफा पहनने लगे । फिर खादीका पंचा, खादीका कुर्ता और खादीकी टोपी उनकी पोशाक बनी। बताओ, आजकल वे क्या पहनते हैं?

खादीकी एक लँगोटी !

गांधीजीने समय समय पर अपनी पोशाकमें जितने फेरबदल किये, उनका इतिहास बडा़ दिलचस्प और जानने लायक है ।

अपनी जवानीके दिनोंमें वे दक्षिण अफ्रीका रहने गये थे । वहाँ वे बैरिस्टरी करते और दूसरे सभी वकील-बैरिस्टरोंकी तरह परदेशी ढंगकी पोशाक पहनते थे ।

दक्षिण अफ्रीका जानेके बाद गांधीजीने देखा कि वहाँ हिन्दुस्तानियोंका बेहद अपमान किया जाता है । इस पर उन्होंने वहाँके हिन्दुस्तानियोंको सिखाने, पढा़ने, संगठित करने और सत्याग्रहकी खूबियाँ समझानेका काम शुरू किया । उनकी सत्याग्रही सेनाके सैनिकोंमें ज्यादातर हिन्दुस्तानके गरीब मजदूर ही थे । फिर यह कैसे हो सकता था कि इन मजदूर सैनिकोंका सत्याग्रही सरदार इनसे ज्यादा अच्छी पोशाक पहनता, या ज्यादा अच्छा खाना खाता? गांधीजी-जैसा सरदार इन भेदभावको क्योंकर बरदाश्त करता? बस, उन्होंने उन्हीं दिनों निश्चय कर डाला कि उनके मजदूर भाई जैसे कपडे़ पहनते हैं, वैसे ही वे भी पहनेंगे ।

इन सत्याग्रही मजदूरोंमें ज्यादातर मजदूर मद्रासके थे, जो सिर्फ कुर्ता और लुंगी ही पहनते थे । चूँकी गांधीजी इन्हीं सत्याग्रहियोके सरदार थे, इसलिए वे खुद भी लुंगी और कुर्ता पहनने लगे, और विदेशी कोट-पतलूनको धता बता दी ।

जब दक्षिण अफ्रीकाके हिन्दुस्तानियोंकी जीत हो गई, तो गांधीजीने सोचा : 'अब मुझे अपने देश जाकर भारतमाताकी सेवा करनी चाहिये ।'

इसके साथ सवाल यह पैदा हुआ कि हिन्दुस्तानमें पोशाक कैसी पहनी जाय? गांधीजी स्वभाव ही से सत्याग्रही हैं; इसलिये ऐसी छोटी छोटी बातोंमें भी वे सत्यकी छानबीन करके ही कदम बढा़ते हैं । फिर यह कैसे हो सकता था कि वे किसी जैसी-तैसी पोशाकको पहनकर अपने देशमें वापस आते? इस बार घरमें विलायती कोट-पतलून आना उन्हें रूचा ही नहीं । लुंगी परदेशमें लुंगीवालोके साथ जँचती थी, अपने देशमें वह क्योंकर जँचती?

आखिर सोचते-विचारते उन्होंने तय किया कि अपनी जन्मभूमि काठियावाड़की पोशाक पहनकर ही वे हिन्दुस्तानकी भूमि पर पैर रक्खेंगे ।

इस तरह जब गांधीजी अफ्रीकासे हिन्दुस्तान लौटे, तो धोती, कुर्ते और अँगरखेके साथ माथे पर काठियावाडी़ फेंटा बाँधते और कन्धे पर दुपट्टा रखते थे ।

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