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सत्याग्रहीकी दिनचर्या  

ऊपर तुम देख चुके कि एक सत्याग्रहीकी रहन-सहन और उसकी दिनचर्या कैसी होती है ।

उसका एक भी मिनट निकम्मा नहीं जाता । अपना एक क्षण भी वह आलस्यमें नहीं बिताता ।

गांधीजीकी दिनचर्याकी दूसरी खूबी यह है कि वे अपने रोजके कामका समय-पत्रक हर रोज बनाते हैं, और उसके मुताबिक एक-एक मिनटकी पाबन्दी रखते है । जिस कामके लिए जो समय तय कर लेते हैं, उसे ठीक उसी समय शरू करते हैं, और जितना समय उसे देना होता है, उतना ही देते हैं। अपना सारा दिन वे घडी़के काँटे पर, घडी़की-सी नियमितताके साथ बिताते हैं । फिर, दिनभर जितना काम वे करते हैं, उसका रोजनामचा भी बराबर लिखते हैं, और रातमें सोनेसे पहले उसे एक बार देखकर और पूरा करके सोते हैं ।