| | |

खण्ड 3 :
कर्म-योगी

34. सफाई श्रेष्ठ कार्य

दिल्ली की बात है । गांधीजी बिरला-भवन में ठहरे थे । वे स्नान घर में गये । थोडी़ ही देर पहले सेठ बिरला स्नान करके गये थे । उनकी भीगी धोती वहीं पडी़ थी । बापूजी ने वह धोती साफ धो दी । फिर नहाकर अपना अँगोछा सूखने के लिए फैलाया और बाद में सेठजी की धोती भी झटककर फैला रहे थे । इतने में सेठजी आये । उन्होंने बापू के हाथ से झट धोती छीन ली और बोलेः “बापू, यह क्या किया ?”

‘‘वहीं पडी़ थी । साफ धोती पर किसीका पैर पड़ जाता, इसलिए धो दिया । इसमें क्या बुरा हुआ ? सफाई के काम से बढ़कर महान् काम और कौन-सा है ?”