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खण्ड 2 : राष्ट्रपिता

18. एक मंगल प्रसंग

दो मित्र आपस में मिलते हैं, तो कितना आनन्द आता है । लम्बे अरसे के बाद मिलते हैं तो आनन्द सौगुना बढ़ जाता है । दो मित्रों के मिलन में मिठास होती है । क्योंकि उसमें निर्मल प्रेम होता है । परन्तु जब दो महापुरुष एक – दूसरे से मिलते हैं, तब तो उसमें अपूर्व माधुर्य होता है । वह गंगा-यमुना का मिलन है, सूर्य-चन्द्र का मिलन है, हरि-हर का मिलन है । एक बार समर्थ रामदास और सन्त तुकाराम ऐसे ही मिले थे । एक नदी के किनारे इन दो सन्तों के बीच क्या बातचीत होती है, यह देखने के लिए कौतूहल से हजारों लोग एकत्र हुए थे । एक ने पानी में पत्थर फेंका, दूसरे ने आ काश की ओर उँगली उठायी । दोनों निकल गये । इसका अर्थ क्या है ? एक ने कहाः जैसे पत्थर पानी में डूबता है, वैसे ये लोग संसार में डूबे रहे हैं ।’’ दूसरे ने कहाः क्या करें ? प्रभु की इच्छा !’’

लेकिन आज मैं तुम्हें बापूजी की एक मीठी बात सुनानेवाला हूँ । यरवदा-जेल में महात्माजी नें सन् 1932 में अनशन शुरु किया था । अंग्रेजों ने हरिजनों को हिन्दू- समाज से हमेशा के लिए अलग कर देने की योजना बनायी थी । महात्माजी के लिए यह बात असह्य हो गयी । शरीर का एक अंग काटकर अलग कर देना किसे सह्य होगा ? और हिन्दू-समाज के लिए वह स्थायी कलंकरूप बन गया होता । इसलिए महात्माजी ने उपवास शुरू किया । इंग्लैंड के उस समय के बडे़ वजीर मैक्डोनाल्ड ने जो फैसला जाहिर किया था, उसे रद्द कराने के लिए वह उपवास था । भागदौड़ शुरू हुई । यरवदा-जेल भारत का राजनैतिक चर्चा-क्षेत्र बना । प. मदनमोहन मालवीय आये । राजाजी और डा. बाबासाहब अम्बेडकर आये । अंत में पूना-करार स्वीकृत हुआ, जो अम्बेडकर को मंजूर था । सबको आनंद हुआ ।

उपवास-समाप्ति के समय वहाँ कौन-कौन थे ? देशबन्धु दास की पत्नी वासन्तीदेवी आयी थीं । सरोजिनीदेवी थीं । मदनमोहन मालवीय थे । और थे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ । वे महात्माजी के पास आये । आम्रवृक्ष के नीचे महात्माजी की खटिया थी । राष्ट्रपिता लेटा हुआ था । उपवास समाप्त होने को था । रवीन्द्रनाथ महात्माजी के पास गये ।

महाकवि भावना-विभोर हो गये । वे झुके और महात्माजी के वक्षः- स्थल पर सिर रखकर वह महान् कवीन्द्र, गुरुदेव नन्हें बच्चे की तरह रो पडे़ ! वह दृश्य आँखों के सामने आते ही मैं कई बार गदगद् हो उठा हूँ ! भारत का सारा सत्य, शिव, सुन्दर उस समय यरवदा में इकटठा हुआ था । महान् प्रसंग ! को प्रणाम !