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खण्ड 1 :
कला-प्रेमी और विनोद

 

9. बालकों से दोस्ती

महात्माजी गोलमेज-परिषद् के लिए जहाज से जा रहे थे । जहाज में अंग्रेज लोगों के बच्चे गांधीजी के कमरे में झाँक-झाँककर देखते थे । फिर इन बच्चों का परिचय हुआ । गांधीजी उनके कान पकड़कर पीठ पर मुक्का जमाते थे । फिर कहते थेः “यह नाश्ता अब काफी है न ? अब दूसरा क्या चाहिए ? खजूर या किशमिश ?”

“खजूर नहीं, किशमिश, किशमिश’’-बच्चे कहते थे । प्लेट भर भरके बच्चे किशमिश ले जाते और प्लेटों को खाली करके फौरन् वापस आते ।

      “आज अब बस”-गांधीजी हँसकर कहते और वे अबोध, निष्पाप बच्चे शुक्रिया कहकर लौट जाते ।