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खण्ड 1 :
कला-प्रेमी और विनोद

10. हस्ताक्षर की फीस

महात्माजी अपने हस्ताक्षर की फीस कम-से-कम पाँच रुपये लेते थे । लेकिन कभी-कभी बडा़ मजा करते थे ।

एक बार अमरीकी सज्जन हस्ताक्षर लेने महात्माजी के पास आये ।

गांधीजी ने पूछाः आपके पास कितने पैसे हैं ?” उन्होंने जेब से अपना बटुआ निकाला । पैसे गिने । 310 रुपये निकले । गांधीजी ने उनका बटुआ हाथ में लिया और उसमें से सारे पैसे लेकर खाली बटुआ लौटाया । हस्ताक्षर दे दिये ।

परंतु वह अमरीकी सज्जन परेशान दिखाई दिया । महात्माजी हँसकर बोलेः “क्या हुआ ?”

गांधीजी, मुझे जहाज तक जाने के लिए रेल का किराया चाहिए । अब मेरे पास कुछ नहीं है ।’’

“ठीक, हम हिसाब लगा लें’’-गांधीजी बोले । किराया, होटल में रहने का खर्च वगैरह सब मिलाकर हिसाब किया तो पूरे 310 रुपये का जो़ड़ आया । तब गांधीजी ने सारे पैसे वापस लौटा दिये ।