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5. वायु – हवा

जैसे पहले तत्त्व उपयोगी हैं वेसे ही यह पांचवां तत्त्व भी उत्यन्त उपयोगी है । जिन पाँच तत्त्वोंका यह मनुष्य-शरीर बना है, उनके बिना मनुष्य टिक ही नहीं सकता । इसलिए वायुसे किसीको डरना नहीं चाहिये । आम तौर पर हम जहां कहीं जाते हैं, वहां घरमें वायु और प्रकाशका प्रवेश बन्द करके आरोग्यको ख़तरेमे डालते हैं । सच तो यह है कि यदि हम बचपनसे ही हवाका डर न रखना सीखे हों, तो शरीरको हवा सहन करनेकी आदत हो जाती है और जुकाम, बलगम इत्यादिसे हम बच जाते है । हवाके प्रकरणमें इस बारेमें लैं लिख चुका हूँ । इसलिए वायुके विषयमें यहां अधिक  कहनेकी आवश्यकता नहीं रहती ।