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प्राक्कथन

श्री मोहनदास करमचन्द गांधी का जीवन वृत्त वस्तुतः भारत की आनेवाली पीढी के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। अपने निस्वार्थ सेवा के परिणाम स्वरूप भारतीय जनमानस उन्हें महात्मा गांधी और बच्चों के लिए वे बापू के नाम से जाने जाते हैं। आज भी गांधीजी का जीवन वृत्त हमारे बच्चों, युवाओं, प्रौढ एवं बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए प्रोत्साहन का प्रतीक है और इतना ही नहीं आने वाली पीढियों के लिए भी वे निस्वार्थ सेवा, सादगी व सद्भावना के रूप में विश्वास कायम करते हैं।

वर्तमान में गांधीजी के आदेशों के प्रचार एवं प्रसार की आवश्यकता को रेखांकित करने की आवश्यकता नहीं । आज भारतीय समाज में हिंसा का घिनौना रूप उभर कर सामने आ रहा है, तब ऐसे समय में अहिंसा के इस विश्व विख्यात पुजारी के जीवन चरित्र एवं प्रसंगों को बच्चों के बीच रखने का यह एक लघु प्रयास है।

इस प्रयास को हिन्दी अकादमी, महाराष्ट्र राज्य ने वर्ष 1990 के लिए पुरस्कृत किया हैं। इससे मेरा उत्साह वर्धन हुआ है। मैं हिन्दी अकादमी, महाराष्ट्र राज्य का हार्दिक आभार व्यक्त करना अपना कर्तव्य समझता हूँ।

प्रियवर सुनिल लाहोटी को यहाँ याद करना औपचारिकता का निर्वाह करना मात्र नहीं हैं, बल्कि समय-समय पर उनसे चर्चा को मैं यहाँ रेखांकित करता हूँ।

इस महत्तम कार्य की एक कडी श्री हरिहर नाथ रेड्डी हैं, जिन्होंने टंकन का समर्ग कार्य कर अकथनीय सहयोग दिया है।

इस पुस्तक के लेखन की मानसिकता को तैयार करने में बम्बई हिन्दी सभा के योगदान हेतु सभा एवं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले अन्य मित्रों का भी आभारी हूँ।

प्रस्तुत कृति यदि बच्चों को किंचित भी उपयोगी सिद्ध हो तभी तो वह प्रयास सफल समझा जायेगा, इसी आशा व विश्वास के साथ...

 

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