प्रस्तावना |
पूज्य गांधीजीकी साठवीं जयन्तीकी यादमें ये रेखाचित्र पहली बार लिखे गये थे। तबसे बरसों बीत चुके हैं, और ईश्वरकी करूणासे गांधीजीका जीवन बालकसे भी अधिक जोशके साथ बढ़ता रहा है। स्वभावतः इस अवसर पर कुछ नये रेखाचित्र इसमें शामिल किये गये हैं। पुराने चित्रोंकी वस्तु और क्रममें भी कुछ परिवर्तन किये गये हैं। गुजरातके बालक इसे उमंगके साथ पढ़ें और बापूजीकी आत्माको सुख पहुँचानेवाले बनें।
वेड़छी
आश्रम,
जुगतराम दवे |