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बापू के सत्य तत्व

हे सत्य न जा,

हे सत्व न जा,

शत् शत् नमन, सत्य तुझको, न जा।

आगे न जा, आगे न जा,

सत्य जीवित रह कर जा जा,

हे सत्य ! तू न जा, न जा।

हे निर्बल बल, कभी न जा,

हे अजा, तू कभी न जा,

निर्बल अज अघ पर मत जा,

और सबल बन साथ न आ,

सत्य सत्व मुखरित हो जा,

जीवन, जीवन-धन, जी जा।

श्रावक श्रावक, प्रेम न जा,

तन तन कर चुनौती बन जा,

घन घन बन, घन घन बरसा,

पोखर पोखर सब भर जा,

प्यारी प्यारी सी बरखा,

घर के दीपक दीपक करके,

आरती दीवाली सम जा।

- करूणा शंकर

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