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निवेदन

गांधीजीके विचार आसान हिन्दुस्तानीमें जनताके सामने रखना 'गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, दिल्ली' के अनेक कामोंमें से एक खास काम है। गांधीजी अकसर आसान भाषामें ही लिखते थे। उन्होंने गुजराती भाषामें जो लिखा है, वह बिलकुल सरल है। फिर भी मुमकिन है कि गुजराती, हिन्दी और दूसरी भाषाओंमें जो शब्द आसानीसे समझे जाते हैं, वे सिर्फ उर्दू जाननेवालों के लिए नये हों।

इसलिए अनूवादमें ऐसे शब्दोंके साथ साथ आसान उर्दू शब्द भी देना ठीक समझा है। उम्मीद है कि इस तरह उर्दू जाननेवाली जनता हित्दुस्तानकी दूसरी भाषाओंका साहित्य भी आसानीसे समझ सकेगी।

काका कालेलकर

6-6-58, बंबई