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मिर्जा इस्माइल

 

77. ‘संत, राजनीतिज्ञ, राष्ट्रविधायक’

बहुत बार कहा जाता है कि अपने समकालीन किसी आदमी के लिए, उसके अमर हो जाने की बात कहना जोखिमभरा होता है । क्योंकि हो सकता है कि भविष्य की प्रजा अपने पसंदीदा लोगों की कीर्ति अमर बनाये । परन्तु महात्मा-गाँधी की अमरता के बारे में लगाया गया अनुमान, भविष्य में झूठ सिद्ध होने की संभावना बहुत कम है । यह निर्विवाद है कि आज के जीवित हिंदुस्तानियों में वे सर्वश्रेष्ठ हैं । वे भारत की भावना के मूर्तिमंत अवतार हैं और उनकी वाणी के द्वारा भारतवर्ष के हृदय का आत्मीय भाव प्रकट होता है । उन्होंने अपनी सर्वव्यापी मीठी नजर और अपने उच्च आदर्शों पर चलने के उत्साह के कारण अपने देशबांधवों का हृदय जीत लिया है । हिंद की बहुसंख्यक जनता पर उनका जो असाधारण प्रभाव है, उससे ही अनुमान लगाया जाये तो कहा जा सकता है कि आज ब्रिटिश साम्राज्य में वे सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं ।

उनसे अधिक अपने अन्तर्नाद का अनुसरण करनेवाला, धर्मपरायण, और सिद्धान्त की असिधारा पर चलनेवाला पुरुष हिंदुस्तान में कोई नहीं है । राजकार्य में उनसे बडा़ राजनीतिज्ञ भी कोई नहीं है । उनमें विरल प्रकाश का नैतिक बल है । उनका व्यक्तिगत जीवन भी पूर्णतः दोषरहित और निष्कलंक है । उनमें मन, वचन और कर्म का समन्वय है, वे अत्यन्त धर्मपरायण है । इसीलिए उन्हें निहारते ही हमें अपने साधु-संतों और औलियों का स्मरण होने लगता है । दूसरी ओर वे नवजागृत भारत को प्रेरित करनेवाले नेता हैं । उन्होंने हिंदुस्तानियों में नूतन प्राण सींचा है, उनमें स्वाभिमान की भावना उत्पन्न की है और अपनी संस्कृति के प्रति गौरव का भान करवाया है । वे महान राजनीतिज्ञ हैं, असाधारण द्रष्टा हैं । एक भारतीय राष्ट्र का उदय धीरे-धीरे हो रहा है । गाँधीजी इस राष्ट्र के विधायक हैं, निर्माता हैं ।