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मुकुलभाई कलार्थी

 

55. ‘सही तरीके से गाया न जाए तो....।’

एक दिन सुबह की प्रार्थना में महादेवभाई ने ‘उठ जाग मुसाफिर’ भजन गाया । पर वे उनका राग भूल गये थे इसलिए उसमें दो-तीन सुरों की खिचडी़ हो गई थी ।

थोडी़ देर पश्चात् बापू ने महादेवभाई से कहा, ‘सही तरीके से न गाया जाय तो, कितना ही सुंदर भजन या काव्य हो, मेरे लिए निरर्थक हो जाता है । आज सुबह मुझे लग रहा था कि यह कब समाप्त होगा ।’ तत्पश्चात् झवेरचंद मेघाणी की बात याद करके बापू बोलेः-

‘मेघाणी कहते हैं कि उनके गीत जब वे स्वयं गाकर सुनाते हैं तभी उसका वास्तविक आनन्द लिया जा सकता है; और मैं देख रहा हूँ कि उनकी बात बिल्कुल सही है ।’