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नरहरि परीख

 

45. ‘महादेवभाई की डायरी’

महादेवभाई 1917 में गाँधीजी के साथ जुडे़ और तब से 1942 में उनका देहान्त होने तक उन्होंने डायरी लिखी है । गाँधीजी के पत्र-व्यवहार, उनके भाषण, व्यक्तियों से हुई बातचीत आदि के साथ विविध विषयों पर उनके विचार वे लिख लेत थे ।

गाँधीजी का सम्पूर्ण जीवन एक खुली किताब कितना था । निजी और व्यक्तिगत कहलानेवाली बातें उनके बारे में संसार जितना था उतना शायद ही अन्य किसी नेता का जनता हो । फिर भी गाँधीजी की बहुत-सी जानने योग्य बातें अभी तक जनता को जानने नहीं मिली । गाँधीजी की अप्रकाशित खासियतें, जीवनप्रसंग और जीवन के प्रति उनके विचार इन डायरियों से ज्ञात होते हैं । उनके द्वारा पढी़ गईं पुस्तकों का विवेचन और कितनी ही पुस्तकों में से आकर्षक पंक्तियाँ (सूक्तियाँ) महादेवभाई ने प्रस्तुत की हैं । महादेवभाई की डायरियाँ गाँधीजी के जीवन-चरित्र के लिए कच्ची और अतिशय महत्त्वपूर्ण सामग्री हैं । मानवजाति को प्रेरित करनेवाले अति उपयोगी साहित्य के रूप में उसका महत्त्व है । विषयवस्तु की उदात्तता के साथ उसकी चित्ताकर्षक प्रस्तुति के कारण ‘महादेवभाई की डायरी’ का स्थान डायरी साहित्य में अनन्तम रहेगा ।