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विनोबा भावे
 

3. ‘उजाला हो गया है’

स्वराज्य मिला और परमेश्वर ने गांधीजी को उठा लिया । परमेश्वर का हेतु समझना मनुष्य के लिए मुश्किल है फिर भी चिंतन द्वारा इसका अनुमान किया जा सकता है ।

हमारे देश को संपूर्ण स्वराज्य मिले, इससे कुछ कम की इच्छा यदि ईश्वर की होती तो उसने गाँधीजी को हमारे मध्य रहने ही नहीं दिया होता । परन्तु लगता है कि उसकी इच्छा है कि देश हर प्रकार की पराधीनता से मुक्त हो जाये । अंग्रजों के चले जाने से बाहरी दबाव खत्म हुआ । गाँधीजी को उठा लेकर ईश्वर ने हमारी बुद्धि को झकझोर दिया है । मानो हमें यह कहते हों कि अब तुम सब हर तरह से स्वतंत्र हो, स्वतंत्र बुद्धि से विचार करो और सही अर्थ में स्वतंत्र बनो।

मनुष्य, चाहे जितना महान हो पर क्या वह संपूर्ण देश को स्वराज्य दिला सकता है ? अपनी नींद जैसे मुझे ही लेनी पड़ती है वैसे ही अपना स्वराज्य मुझे ही प्राप्त करना चाहिए। यह नहीं कहा जा सकता कि परमेश्वर हमेशा हमारे लिए महापुरुष भेजता रहे तो उससे हमारी उन्नति ही होगी । भगवान बार-बार अवतार नहीं लेता इसे भी उसकी कृपा ही समझनी चाहिए ।

लोग कहते हैं कि गाँधीजी के जाने से चारों और अँधेरा छा गया है । मैं कहता हूँ कि अभी तो उजाला हुआ है, आँखें खोलिए तो समझ में आयेगा । गाँधीजी बार-बार कहते थे कि मैं जो कुछ कहता हूँ उस पर आप स्वतंत्र बुद्धि से विचार कीजिए और वह आपको उचित लगे तभी उस पर अमल कीजिए । परन्तु हम विचार करने की तकलीफ उठाये बिना उनके पीछ-पीछे चलते रहते थे । इसलिए ईश्वर ने तय किया कि इन लोगों को विचार करने की तकलीफ देनी ही पडे़गी।