गांधी, रंगा और--- |
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जिस प्रकार से केशव शंकर पिल्लै नेहरूजी के ऊपर सेखांकन करने के लिए जाने गए, असी प्रकार से रंगा गांधीजी के व्यंग्य चित्रांकन के लिए स्मरणीय रहेंगे। यद्यपि रंगा ने राजनीतिक, सामाजिक संदर्भो को लेकर भी व्यंग्यार्कन किया, किंतु गांधी को इतनी सादगी एवं संक्षिप्तता के साथ प्रस्तुत करने के लिए ही वे विशेष रूप से जाने गए या यों कहें कि कार्टून कला के क्षेत्र में वे 'गांधी कार्टून विशेषज्ञ ' के रूप में जाने जाते हैं। गांधी कार्टून केंद्रित इस पुस्तक में इस कार्टूनिस्ट पर स्वतंत्र अध्याय लिखना बेहद जरूरी था। आइए, देखें गांधी कार्टून कला के इस कुशल चितेरे के बारे में ----
चित्र - 1 रंगा की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा बनारस एवं इलाहाबाद में हुई। कार्टूनिंग की शुरुआत उन्होंने 'शंकर्स वीकली' से की। बाद में वे 'िदन स्टेटमेन','िद सेंटीनेल', 'द ट्रिब्यून' के लिए भी कार्टून बनाने लगे थे। रंगा ने राजनीतिक, सामाजिक कार्टूनों के अलावा देश-विदेश की अनेक महत्त्वपूर्ण हस्तियों के रेखाचित्र बनाए, जिनमें गांधी के अतिरिक्त अटलजी के रेखचित्र को उन्होंने बड़ी तन्मयता के साथ उकेरा। सन् 1975-1976 में उनकी कार्टून कला में जबरदस्त म़ेड तब आया जब उन्होंने 'द स्टेटमेन ' के लिए दो लकीरोंवाला गांधी का रेखाचित्र (स्केच) बनाया। बाद में उनका यह कार्टून उनका ट्रेड मार्क जैसा बन गया। भारतीय गणतंत्र की पचासवीं वर्षगाँठ पर भारत सरकार ने उनके गांधी कार्टून पर एक डाक टिकट सन् 2000 में निकाला, जिसको कीमत भी तीन रुपए।
चित्र - 2 इसी अवसर पर दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर आटै गैलरी में उनकी एकल प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें उनके द्वारा तैयार किए गए गांधी-कार्टून को प्रदर्शित किया गया था। पूर्व केंदिय मंत्री डॉ. कर्णसिंह ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा था। "रंगा ने अपनी कलम की चंद रेखाओं में गांधी के मूल तत्त्व को बाँध लिया है।" रंगा ने गांधी के 35 कथनों को अपने विषय-वस्तु के रूप में चुना और एकमेव स्केच बना डाले। गांधी पर 50 रेखाचित्र बनाने में उन्हें तीन माह लगे। इस प्रदर्शनी में उन्होंने अपनी 40 कृतियों को सँजोकर रखा था। रंगा ने गांधी के सूत्र सत्य, अहिंसा, देश-पेम, कर्तव्य एवं ईमानदारी को लेकर जो रेखाचित्र बनाए वे सर्वप्रिय हुए। रंगा ने गांधी (GANDHI) को लेकर एक एनाग्राम भी बनाया था।
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