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प्रकाशकीय

‘बापू की मीठी-मीठी बातें, नामक यह पुस्तक मराठी के कोमल-करूण कमल के धनी स्व. साने गुरूजी की रचना है । साने गुरूजी का नाम मराठी-क्षेत्र में प्रत्येक बालक और किशोर की जबान पर है । बालक का हृदय उनकी रचना समरस हो जाता है कि भीतर की तरलता आँखों की राह झर-झर निःसृत होने लगती है । उनके शब्द भावों का अनुगमन करते हुए चले चलते हैं ।

बापूजी (महात्मा गांधी) के जीवन के कुछ मधुर-मीठे प्रसंगो को बालकों के लाभार्थ साने गुरूजी ने अपना शब्द-माधुर्य प्रदान किया है । ये घटनाएँ बडी़ ही प्रेरक और उदबोधक हैं ।

साने गुरूजी बालकों के सुहृद् थे ही, बाल-हृदय भी थे । उनकी यह प्रसादी बालकों को सचमुच मीठी-मीठी लगेगी ।

‘बापू की मीठी-मीठी बातें’ का पहला भाग पाठकों की सेवा में पहुँच चुका है । उनमें 57 कहानियाँ थीं । यह दूसरा भाग प्रस्तुत है । इसमें 63 कहानियाँ हैं । मराठी में छोटी-छोटी 6 पुस्तिकाओं की कहानियाँ हिन्दी के पाठकों के समक्ष दो भागों में प्रस्तुत की गयी हैं । हिन्दी के प्रेमी पाठकों तथा बालकों में इस पुस्तक का पर्याप्त स्वागत हुआ है, जिसके कारण इस पुस्तक का सातवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है ।