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खण्ड 5 :
ईश्वर-भक्त


62. बापू की निद्रा

इसी उपवास के बीच महादेवभाई का लिखा एक पत्र नासिक-जेल में आया, उसका स्मरण आ रहा है । उपवास जारी था । पर्णकुटी के बरामदे में चौकी पर महापुरुष पडा़ था । उन्हें कुछ देर नींद आ गयी थी । चारों ओर सुन्दर गम्भीर सृष्टि थी । महादेवभाई ने लिखाः

“बापू सोया हैं । एक नन्हें शिशु के समान सोये हैं । मानो विराट् सृष्टिमाता की गोद में शिशु सो रहा हो, कितना भव्य और उदात्त दृश्य है ।”