61. राम-नाम को पोषण |
महात्माजी का उपवास जारी था । नासिक-जेल में उनके पत्र आते थे । पत्रों में अपने उपवास के बारे में अधिक न लिखकर स्वामी आनन्द के स्वास्थ्य की खबर पूछते थे । उपवास में भी वे दूसरों की चिंता करते थे । एक बार के पत्र में लिखा थाः “यह सच है कि मैं अन्न नहीं लेता हूँ । पानी के सिवा कोई अन्य रस नहीं लेता हूँ । परन्तु राम-नाम का रस तो पोषण दे ही रहा है ।” |