51. नन्हा गोपू |
महात्माजी ‘राष्ट्रपिता’ थे । सब उनकी सन्तान थे । उन्हें किसी चीज की आसक्ति नहीं थी । अन्त में वे दिल्ली में थे । महात्माजी के चिरंजीव श्री देवदासभाई उनसे मिलने जाते थे । देवदासभाई अपने छोटे लड़के गोपू को भी साथ ले जाते थे । वह तीन साल का था । उसके आते ही उसे वे प्रेम से गोद में लेते थे, हँसी-विनोद करते थे । कभी गोपू साथ नहीं आता, तो गांधीजी पूछते थेः “आज गोपू क्यों नहीं आया ? वह नहीं आया तो मुझे खोया-खोया-सा लगता है ।’’ बापू तो चले गये । बापू उस नन्हें गोपू का जिन शब्दों में स्वागत करते थे, उसकी हूबहू नकल गोपू घर में करता था और देवदासभाई तथा उनकी पत्नी की आँखे भर आती थीं । |