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खण्ड 3 :
कर्म-योगी

30. गांधी का अनोखा व्यायाम

संसार के सभी महापुरुष सादगी से रहते आये हैं । उन्हें कोई भी छोटा काम करने में संकोच नहीं होता था । भगवान् कृष्ण गायें चराते, घोडे़ हाँकते, जूठन उठाते थे । पैगम्बर मुहम्मद ऊँट चराते थे, अपना कपडा़ स्वयं सीते थे, गोशाला जाकर दूध दुहते थे, मस्जिद में झाड़ू लगाते थे । महात्मा पुरुष सेवा के किसी काम को छोटा नहीं समझते थे । वे खेलते भी थे । गोपालकृष्ण ग्वालों के साथ खेलते थे । कृष्ण भगवान् ने खेलों को एक दिव्यना प्रदान की । उनका ‘पेद्दा’ लँगोटिया मित्र अमर हो गया । मुहम्मद पैगम्बर भी बच्चों के साथ रमते थे, खेलते थे, उनको किस्से-कहानियाँ सुनाते थे । ईसामसीह को भी बच्चों से प्यार था ।

महात्माजी को भी बच्चों से बेहद प्यार था । उन दिनों वे दक्षिण अफ्रीका में रहते थे । रहन-सहन सादा था । सब कुछ स्वावलम्बन से चलता था । सुबह छह बजे ही उठकर सब पीसने में लग जाते । दिनभर का आटा पुरुष पीस देते थे । पिसाई दस-पन्द्रह मिनट चलती थी । उतना पर्याप्त हो जाता था । पीसते समय हँसी-मजाक चलता था । चक्की चलाने में व्यायाम के साथ आनन्द भी मिलता था । चक्की की आवाज में हँसने की आवाज मिल जाती थी । बडा़ मजा आता था । पानी भरना, झाडू़ लगाना, पाखाना साफ करना, बर्तन मलना-सभी काम घर में ही होता था । शरीर को व्यायाम होता और काम भी अच्छा होता था ।

एक मजे की बात सुनाता हूँ । सब जानते ही हैं कि महात्माजी टहलने का व्यायाम रोज करते थे । जानते हो, मैं कौन-सा किस्सा सुनाने वाला हूँ ? महात्माजी पीसने लगते थे, पाखाना साफ करते थे, परन्तु एक निराला ही व्यायाम भी करते थे, वह बडा़ मजेदार था । बूझो तो ! क्या दण्ड-बैठक लगाते थे ? नहीं। आसन करते थे ? नहीं । तो फिर कौन-सा व्यायाम करते होंगे ? समझे कुछ ? महात्माजी डोरी पर से छलाँग मारने में बडे़ माहिर थे । सुबह-सुबह हाथ में रस्सी लेकर कूदना शुरू करते । वैसे आश्रम में हँसी सुनाई नहीं देती थी, लेकिन पीसते समय और रस्सी पर की उड़ानें भरते समय हँसी फूट पड़ती थी । बडा़ मजा आता था । संसार को अहिंसा का सन्देश देनेवाला, भारत को आजादी दिलाने वाला यह महात्मा और राष्ट्रपिता दक्षिण अफ्रीका में सुबह हाथ में रस्सी लेकर कूदा करता था । कोई चित्रकार महात्माजी का यह चित्र बनायेगा तो कितना अच्छा रहेगा ? गोपालकृष्ण गोकुल में लगोरी खेलता था । महात्माजी रस्सी पर उडा़न भरते थे ।