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खण्ड 2 :
राष्ट्रपिता

25. नमक-सत्याग्रह

सन् 1930 में महात्माजी सत्याग्रह शुरू करनेवाले थे । अभी यह निश्चित नहीं हुआ था कि कौन-सा सत्याग्रह करनेवाले हैं । रवीन्द्रनाथ ठाकुर सन् 30 के प्रारम्भ में साबरमती-आश्रम आये हुए थे ।

उन्होनें पूछाः “महात्माजी, सत्याग्रह का स्वरूप क्या रहेगा ?”

“मैं दिन-रात सोच रहा हूँ । अभी प्रकाश नहीं मिला है’’ बापू बोले । आगे चलकर बापूजी को नमक दिखाई दिया । दादाभाई नौरोजी ने 50 वर्ष पूर्व लिख रखा था कि नमक के बारे में जो अन्याय हो रहा है, वह जिस दिन जनता के ध्यान में आयेगा, उसी दिन वह विद्रोह कर उठेगी । नमक तैयार करने में जो खर्च आता है, उससे सैकडो़गुना अधिक उस पर सरकारी कर लगा है । बंगाल के बाजार में विलायती नमक बिकता है । मद्रास के इलाके में जो नमक के आगर थे, वे सब नष्ट हो गये । मद्रास-राज्य में तो गरीबी अत्यधिक है । समुन्दर के किनारे पर बसे लोगों के पास नमक खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है। लेकिन पेट में नमक न जाय तो कैसे चलेगा ? जानवरों की खुराक में भी हम नमक मिलाते हैं । मद्रास के पास हमारे गरीब भाई रात के समय समुद्र-तट पर जाते हैं और वहाँ की जमीन चाटते हैं, ताकि पेट में कुछ तो नमक का अंश पहुँचे । समुद्र-तट पर अपने-आप बननेवाले नमक की मिट्टी में मिलाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कर्मचारी तैनात कर रखे थे । नमक में या खाद्द पदार्थ में मिट्टी मिलाना कितना बडा़ पाप है !

ऐसे नमक की ओर राष्ट्रपिता का ध्यान गया । ‘नमक का सत्याग्रह’ शब्द भारतभर में फैला । सत्याग्रह का यह नया शब्द, कानून भंग का शब्द रसोई-घर तक पहुँचा । माँ-बहनें भी सत्याग्रह करने निकल पडी़ ।

सन् 1930 की वह अपूर्ण लडा़ई ! नमक का सत्याग्रह, जंगल का सत्याग्रह, करबन्दी-इस तरह लडा़ई का स्वरूप व्यापक होता गया । परन्तु सबसें चार चाँद लगा दिये वानर-सेना ने । भारतभर के बच्चे बच्चियाँ राष्ट्रीय संग्राम में शामिल हुईं । सुबह-शाम राष्ट्रीय गीत गाते हुए भारतभर में बालक-बालिकाओं की सेनाएँ घूमने लगीं । जैसे राम के वानर थे, शिवाजी के मावले थे, वैसे बापूजी के ये बालक थे । सारे राष्ट्र को इन तेजस्वी बालकों ने देश-भक्ति की दीक्षा दी ! छोटे बालकों ने लाठियाँ सहीं । कल्याण में आठ साल की एक बच्ची लाठी की मार से बेहोश हीकर गिर पडो़ ।

बापू जेल से छूटे । सत्याग्रह रूका । वे गदगद होकर बोलेः ईश्वर पर भरोसा रखकर मैंने आन्दोलन शुरू किया था । परन्तु छोटे बच्चेयों उठेगे, देशभर में वानर-सेनाएँ खडी़ होंगी, इस बात की मुझे कल्पना भी नहीं थी । छोटे बच्चों की निष्पाप साधना में असीम सामर्थ होती है । प्रभु की कृपा है ! उसीके हाथ में यह आन्दोलन था । उसने ही सबको प्रेरणा दी ।’’