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खण्ड 2 :
राष्ट्रपिता

20. इंग्लैण्ड आने के लिए तीन शर्तें

गांधीजी सन् 1931 में लन्दन गये थे, तब मिस म्युरिल लिस्टर की गरीब बस्ती में ठहरे थे । म्युरियल बहन उससे पहले एक बार भारत आयी थीं । तब बापू साबरमती-आश्रम में रहते थे ।

बहन ने कहाः “आप इंग्लैंड आइये न !’’

“किसलिए आऊँ ? आप लोगों को सिखाने लायक मेरे पास अभी कुछ नहीं है । हमारा सत्याग्रह का प्रयोग सफल होने दीजिये । फिर देखा जायगा ।’’

“बापू, मेरा मतलब यह नहीं था कि आप हमें सिखाने आइये ।’’

“फिर क्यों आऊँ ?’’

“हमसे सीखने आइये ।’’

गांधीजी के चेहरे पर खुशी खिल उठी । बोलेः “सच, वहाँ कइयो से मिलना होगा । जार्ज डेविस वगैरह के अनुभव जानने को मिलेंगे ।

आना तो चाहिए । मैं आऊँगा ।’’

“अच्छी बात है । कब आयेंगे ?”

“मेरी शर्त कबूल कीजिये ।’’

“बताइये तो सही ।’’

“मैंचेस्टर के मिल-मालिकों से कहिये कि यहाँ वे कपडा़ न भेजें । पार्लियामेंट के सदस्यों और मन्त्रिमण्डल से कहिये कि भारत को स्वराज्य दे दिया जाय । तीसरी बात यह कि ब्रिटिश सत्ता के कारण हमारे यहाँ जहाँ-तहाँ शराब फैल रही है । शराब की आमदनी से यहाँ शिक्षण दिया जाता है । यह पाप है । अफिम का भी व्यापार भारत में इन्होंने चला रखा है । अफीम तो बुरी है ही, शराब उससे भी बुरी है । अफीम तो खानेवाले को ही नुकसान पहुँचाती है, शराब सारे घर को उजाड़ती है । स्त्रियों पर जो बितती है, वह पूछो ही मत । इसलिए वहाँ जाकर यह प्रचार कीजिये कि भारत में शराब और अफीम बन्द होनी चाहिए । आप ये तीन काम कीजिये । फिर मैं एक करोड़ भारतीयों के हस्ताक्षर लेकर, अपने खर्च से विलायत आऊँगा और कहूँगा कि भारत के विचार को मान्य करो ।’’ “जो भी कर सकूँगी, मैं करूगी।’’-म्युरियल बहन ने कहा । बापू के देहावसान के बाद वह बहन भारत आयी थीं । सेवाग्राम में गांधीजी की कुटिया में खडी़ रहीं। बोलीः “बापू के बिना बापू की कुटी ।’’ उनकी आँखें भर आयीं । फिर बोलीः “यहाँ छोटे बच्चों को आर्यनायकम् और आशादेवी पढा़ते हैं । बापू की आत्मा यहाँ सर्वत्र है ।’’