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खण्ड 2 : राष्ट्रपिता

13.बच्चों के साथ तैरने गये

गांधीजी को बच्चों की संगित में बडा़ आनन्द आता था । बच्चों का संग मानो भगवान् का संग ! वे बच्चों के साथ हँसते-खेलते, विनोद करते थे । एक मद्रासी बच्चे ने एक बार उनसे जिद्द की काँफी पिलाओ’’। तब उन्होंने खुद काँफी बनाकर उस बच्चे को पिलायो । इतना ही नहीं, बल्कि बडे़ प्यार से पूछाः “क्या तुझे और कुछ बना दूँ ? ‘इडली’, ‘दोसा’ बना दूँ ?’’ गांधीजी बढ़िया रसोई बनाते थे । गांधीजी सब जानते थे । जीवन की सब उपयोगी बातें वे जानते थे । गांधीजी साइकिल भी चलाते थे । परन्तु उसकी कहानी फिर कभी सुनाउँगा । आज दूसरा ही एक मजे का किस्सा सुनाता हूँ ।

यह बात है सन् 1926 की । महात्माजी खादी-प्रचार के दौरे पर थे । आराम की दृष्टि से कुछ दिनों के लिए साबरमती-आश्रम लौट आये थे । साबरमती नदी अपने सौम्य रूप में बह रही थी । आश्रम के सदस्य नदी में नहाने जाते थे । कोई डुबकी लगा आता, तो कोई तैरता ।

“बापूजी, आज आपको भी तैरने चलना चाहिए ।’’

“सचमुच ! आज बापू को लिये बिना नहीं छोडे़गे ।’’

“लेकिन बापू तैरना भूल गये होंगे ।’’

“तैरना कोई भूलता है ? बापू, आप चलेंगे न ? हमें देखना है आप कैसे तैरते है ।’’

“कमान्य तिलक अच्छे तैराक थे । गंगा की बाढ़ में वे कूद पड़े थे और तैरकर उस पार गये थे ।’’

“परन्तु लोकमान्य ने तो अभ्यास किया था । बापू, आज आप हमें तैरकर दिखाइये न । बडा़ मजा आयेगा ।’’

“बापू तो सिर्फ हँस रहे है । वे नहीं चलेंगे । चलिये न । आज हमारे साथ तैरने चलिये ।’’

बच्चे आज गांधीजी को घेरे उपर्युक्त बातचीत कर रहे थे । गांधीजी इनकार नहीं कर सके । जाने को तैयार हुए । बच्चे खुश हो गये । सारा आश्रम चल पडा़ । साबरमती नदी भी खुशी से उछल पडी़, उसकी तरंगें नाच उठीं । आज बापू नदी की लहरों का सामना करनेवाले थे । ब्रिटिश सत्ता से जूझनेवाला वीर योद्धा आज साबरमती की लहरों से खेलनेवाला था । बच्चे पानी में उतरे । कहने लगेः “बापू, आइये चलिये ।’’ और गांधीजी कूद पडे़, उन्होंने सूर मारा था और सप-सप पानी काटते हुए जा रहे थे । बच्चे आनन्द विभोर होकर जय-घोष करने लगे । तालियाँ बजाने लगे । गांधीजी का पीछा करके उन्हें छूने के लिए कुछ बच्चे चल पडे़ । बडा़ मजा आया । कितना आनन्द ! 55 वर्ष की आयु में गांधीजी ने डेढ़ सौ गज की दूरी तैरकर पार की । बच्चों के आनन्द की खातिर बापू तैरने गये थे । ऐसे थे बापू ! ऐसा था हमारा लाडला राष्ट्रपिता !