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खण्ड 1 : कला-प्रेमी और विनोद

7. पिता-पुत्र में विनोद

दिल्ली के वे अन्तिम दिन ! अब उन्हें अन्तिम ही कहना चाहिए । उस समय किसीको कल्पना नहीं थी कि वे अन्तिम दिन होंगे । एक दिन महात्माजी के पुत्र श्री देवदासभाई गांधीजी के पास आये थे । देवदासभाई दिल्ली में हो रहते थे ।

‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के वे सम्पादक थे । रात में कुछ देर के लिए अक्सर आ जाया करते थे ।

बातचीत हुई । देवदासभाई बोलेः “बापू, आज मैं प्यारेलालजी को अपने यहाँ भोजन के लिए ले जाना चाहता हूँ । ले जाऊँ ?’’

“ले जाओ, जरुर ले जाओ । लेकिन क्यों रे, मुझे भोजन के लिए ले जाने की कभी इच्छा नहीं होती ?” बापू ने कहा । और फिर खुलकर हँस पडे़ । पिता-पुत्र का वह मधुर विनोद था !