प्रकाशकीय |
‘बापू की मीठी-मीठी बातें’ नामक यह पुस्तक मराठी के कोमल-करूण-कमल के
धनी स्व. गुरूजी की रचना है । साने गुरूजी का नाम मराठी-क्षेत्र में
प्रत्येक बालक और किशोर की जबान पर है । बालक का हृदय उनकी रचना में
इतना समरस हो जाता है कि भीतर की तरलता आँखों की राह झर-झर
निःसृत होने लगती है । उनके शब्द भावों का अनुगमन करते हुए चले चलते
हैं । साने गुरूजी बालकों के सुहृद्तो थे ही बाल-हृदय भी थे । उनकी यह प्रसादी बालकों को समुचय मीठी-मीठी लगेगी । सर्व-सेवा-संघ प्रकाशन ने पहली बार हिन्दी में गुरूजी की यह रचना प्रकाशित की थी जिसका हिन्दी जगत के पाठकों ने हृदय से स्वागत किया । इसी वजह से इस पुस्तक का सातवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है । |