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प्रकाशकीय

‘बापू की मीठी-मीठी बातें’ नामक यह पुस्तक मराठी के कोमल-करूण-कमल के धनी स्व. गुरूजी की रचना है । साने गुरूजी का नाम मराठी-क्षेत्र में प्रत्येक बालक और किशोर की जबान पर है । बालक का हृदय उनकी रचना में इतना समरस हो जाता है कि भीतर की तरलता आँखों की राह झर-झर निःसृत होने लगती है । उनके शब्द भावों का अनुगमन करते हुए चले चलते हैं ।
     बापूजी (महात्मा गांधी) के जीवन के कुछ मधुर-मीठे प्रसंगों को बालकों के लाभार्थ साने गुरूजी ने अपना शब्द-माधुर्य प्रदान किया है । ये घटनाएँ बडी़ ही प्रेरक और उदबोधक हैं । पुस्तक में कुल मिलाकर 58 प्रसंग दिये गये हैं। इसका दूसरा भाग भी प्रकाशित हो गया है ।

     साने गुरूजी बालकों के सुहृद्तो थे ही बाल-हृदय भी थे । उनकी यह प्रसादी बालकों को समुचय मीठी-मीठी लगेगी ।

     सर्व-सेवा-संघ प्रकाशन ने पहली बार हिन्दी में गुरूजी की यह रचना प्रकाशित की थी जिसका हिन्दी जगत के पाठकों ने हृदय से स्वागत किया । इसी वजह से इस पुस्तक का सातवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है ।