18. यन्त्रों की मर्यादा |
चार्ली चैपलीन दुनिया को हँसानेवाला व्यक्ति है । फिल्म में काम करता है । वह गरीबी से ऊपर उठा और गरीबों के बीच ही रहता है । गांधीजी से वह मिला । उसने पूछाः ‘‘आप यन्त्रों के खिलाफ क्यों है ?’’ ‘‘देश में करोडो़ लोग बेकार हैं । उन्हें कौन-सा उद्दोग दूँ ? इसलिए चरखा दिया ।’’ ‘‘केवल कपडे़ के लिए ग्रामोद्दोग ?’’ ‘‘अन्न और वस्त्र के मामले में प्रत्येक राष्ट्र को स्वावलम्बी होना चाहिए । हम स्वावलम्बी थे भी । लेकिन इंग्लैंड में यन्त्रों के कारण अत्यधिक उत्पादन होने लगा । उसे खपाने के लिए वे मण्डी खोजने लगे । भारत के बाजार पर कब्जा जमाकर आप लोग हमारा शोषण कर रहे हैं । क्या यह इंग्लैंड विश्व-शान्ति के लिए खतरा नहीं है ? कल हिन्दुस्तान जैसे विशाल देश यदि बृहद् यन्त्रों से उत्पादन करने लगे, तो संसार को कितना बडा़ खतरा है ।’’ ‘‘लेकिन धन का ठीक वितरण हो, काम का समय घटाया जाय, श्रमिकों को अधिक आराम मिले और वे अपने विकास में समय खर्च करने लगे, तो दूसरों को गुलाम बनाकर बाजार को कब्जे में लेने की क्या जरूरत है ? तब भी क्या आपका यन्त्रों से विरोध रहेगा ?’’ ‘‘नहीं ।’’ |